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धरती पर उतरलइ / जयराम दरवेशपुरी
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साच बेयाना लेले बदरा धरती पर उतरलइ
बरसल अइसन मेघ के सगरे
अहरा पोखरा भरलइ
बरस रहल हे एकलगउरी लपसल हइ पुरबइया
मुसलाधार सड़क पर पानी करिअइ कउन उपइया
पानी अइसन गोत देलक कि
फोहवा मोरी सड़लइ
टोला-टाटी गल्ली नल्ली सगरे उड़ल कचाहिन
अस्त-व्यस्त जन-जीवन सगर घर-अँगना में आहिन
कत्ते दिना से सुरूज किरिनियाँ
ओलती पर न उतरलइ
नदिया सभे तूफान बनल खेत बनल हे पोखर
बिचड़ा सब खेते में सड़लइ छूटल किसान के चोकर
गइया गोरू अकबक-अकबक
सूरज कने भुलइलइ
गरबइया के उजड़ल खोंथा
पानी में बह गेलइ
फूस झोपड़िया बांस मड़इया
पानी से भर गेलइ
बहत काल परलय के हावा
बादर सेना चढ़लइ।