धरम जात के छै कहानी / विजेता मुद्गलपुरी
धरम जात के छै कहानी के झगड़ा गरम खून के छै जवानी के झगड़ा
दिनों दिन त सुरसा के मुँह सन बढ़ै छै ई अपवाह से अंठेकानी के झगड़ा
सगर अब धरम के कहर फैल रहलै सगर राजनैतिक जहर फैल रहलै
पसाही के मकतें पसरिये रहल छै बुखारी अटल आडवानी के झगड़ा
लगल डेकची-दोल-तमघैल-घैला जहाँ छै कहीं नल नगर पालिका के
भिरल दोल से दोल घैला से घैला ई नल पर सुबह-शाम पानी के झगड़ा
बड़ा आदमी के बड़ी बात छीकै बरप्पन के खातिर बहुत कुछ करै छै
मुकदमा में मंगरु महल बेच देलकै परोसी से ठनलै पलानी के झगड़ा
गजब के तरक्की जे पहिने रहै घूस उहे भेलै अब डोनेशन-कमीशन
कमीशन के बाँटै में दफ्तर से बाहर त होतें रहै छै किरानी के झगड़ा
बहुत रात गेने, बहुत जोर से जब महल्ला में हल्ला बहुत देर भेलै
बहुत लोग ऐलै बहुत बात समझी हुँआँ पर रहै दू परानी के झगड़ा
सुबह निन्द खुलते सुरु जेहुऐ छै परल निन्द तब तक सुरु जे रहै छै
बिहाने से गाली रचै छै बकै छै जेएकरे कहै छै जनानी के झगड़ा
कभी प्रेम से भेल हँस्सी ठिठोली कभी मुँह चमकल जरल सन के बोली
कभी दोषारोपन कभी केस नोच्ची विजेता ननद और जेठानी के झगड़ा