धोबहीं के सिवान पर धमाका / लक्ष्मीकान्त मुकुल
खौफ़नाक बारूदी धमाकों से
काँप उठा है धोबहीं गांव
पगहा तूरा कर भागने लगे हैं पशु
पेड़ों पर घोसले में आराम करते पंछी
घरों में सोये नर-नारी, अबाल-वृद्ध
मामूली नहीं है धमाका
यह अनुगूंज है आने वाले समय की
विश्वास नहीं, तो कान लगाकर सुनो तड़प पृथ्वी की
गंगा के मैदानी इलाके के ये गॉव
पँूजीवादी बुलडोजरों के पांवों तले कुचले जाने हैं
प्राकृतिक तैलीय पदार्थो की खोज के नाम पर
छीनी जानी है सदियों से अन्न उपजाती भूमि
युगों से एक दूजे के सुख-दुख को बांटते
गरीब मेहनतकशों का ठिकाना
उनकी खुशहाली की रंगत बदलने ही वाली है, अब
पहाड़ों, पठारों, नदियों, समुद्रों, रेगिस्तानों को
लालचों की हवश में रौदने वाले सौदागरों ने
पेट्रोलियम मिलने की संभावना पर खोद डाले हैं
हमारे आंगन, जिसके जख्मो ंसे टीस रही है धरती की छाती
एरियर, सेटेलाईट के टू स्पीव सर्वे से ताबड़तोड़ बटोरा जा
रहा है कम्प्यूटर से डाटा, जिसे भेजा जा रहा है देहरादून के लैब में
चिन्हित जमीनों पर पाईप धंसाकर समेटा जा रहा है भूगर्भ का नमूना
फिर थ्रीडी सर्वे के नाम पर लूट ली जायेगी कृषि योग्य भूमि
रौंद दिये जायेंगे किसानों के पसीने से सींचित हरे-भरे खेत
बेदखल हो जायेंगे मेहनत-मजदूरी करते परिवार
अपनी जन्मभूमि, कर्मभूमि से
स्थापित होगा जब भीभाकाप कारखाना ओ0एन0जी0सी0 का
मिट जायेगा गांव का नाम धोबहीं, मोहनपुर, जटुली टोला
कट जायेंगे दिन-दुपहरिया में लू से बचाते गांव की लाज को
पीपल, पाकड़, बरगद, महुआ के पेड़
बगल में निर्मल जलधार लेकर चलती नदी
ठिठुर जायेगी कचरे के दलदल में
खेत-मैदानों मंे छापा हरा रंग झुलसकर पड़ जायेगा नीला
जैसे ही लगेगा पेट्रोलियम प्लांट गांव की सीमा में
एक अत्याधुनिक शहर से विस्थापित हो जायेगा गांव
उसका खान-पान, गीत-गान, बोल-चाल, रहन-सहन
सरे आम बिक जायेगे खेत, नदी, तालाब, पेड़, मनुष्य
देह व्यापार को विवश कर दी जायेंगी
दनादन साइकिल चालकार स्कूल जाती हुई बच्चियाँ