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नया साल / लक्ष्मीकान्त मुकुल
Kavita Kosh से
पेड़ों में आते हैं नन्हें टूसे
खलिहान से आती है नवान्न की गंध
तुम आती हो ख्यालों में लीची की
मधुर आभास लिए
मसूर के नीले फूलों-सी साड़ी लहराती
जैसे जीवन में
पहली बार आया हो नया साल का सवेरा