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नशे में सफ़र के ऐसा हाल हो गया / 'महताब' हैदर नक़वी
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नशे में सफ़र के ऐसा हाल हो गया
दौड़ता रहा कि बस निढाल हो गया
मैं हूँ एक हर्फ़-ए-नातमाम और वो
सनअत-ए-सानेअ की इक मिसाल हो गया
उनका ज़िक्र क्या है जो कि ग़ैर से मिले
मैं भी तो असीर-ए-माह-ओ-साल हो गया
दोस्तों का साथ छूटने से क्या हुआ
इस क़दर निढाल ठा, निहाल हो गया
धूप की शिद्दत से और कुछ नहीं हुआ
बस सफ़ेद सर का बाल, बाल हो गया
ऐसे लम्हों पर फ़िदा हूँ जिनमें उनका हुस्न
क़ैद क्या हुआ कि लाज़वाल हो गया
ख़ुश्क़ मिट्टियों में भी उगाई कैसी फ़स्ल
मेरे दोस्त! मैं भी बाकमाल हो गया