भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नाटै थे वे यार मेरे / विरेन सांवङिया

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

नाटै थे वे यार मेरे
ना जाईए रै नू बहार जले
अर जाडै की इस रात मै
मै चादर भी तारगा
एक तेरा प्यार बैरण
दूजा मनै जाडा मारगा

10 बजे का आया था मै
करङा मरु जडाया था मै
थारी गली मै
देख देख तेरी बाट हारगा
एक तेरा प्यार बैरण
दूजा मनै जाडा मारगा

किमे जाडा कर रा चाला रै
एक मिलगा खेत रूखाला रै
तेरे खातर लिखे खत
फेर सारे बालगा
एक तेरा प्यार बैरण
दूजा मनै जाडा मारगा

तेरी बाट मै रात भर जागी
तङके ए तङक मेरी आंख सी लागी
फेर लोट आङै ए
मैं पैर पसारगा
एक तेरा प्यार बैरण
दूजा मनै जाडा मारगा

एक लुगाई मनै फकीर सा लागी
मार कै धौक पतासे चढागी
तू तो ना आई
फेर मै पतासां मै ए सारगा
रै एक तेरा प्यार बैरण
दूजा मनै जाडा मारगा