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निकली है आज छूने लो आसमान चिड़िया / अशोक अंजुम
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निकली है आज छूने लो आसमान चिड़िया !
भर लेगी मुट्ठियों में सारा जहान चिड़िया !
हर मोड़ पर शिकारी, हर सिम्त हैं शिकारी
गोया ज़रा सँभलकर भरना उड़ान चिड़िया !
कितना भी उड़ो ऊँचा, फैलाओ पंख जितने
ऊँचाइयों पर रखना धरती का ध्यान चिड़िया !
हो घोंसले में चाहे निकले किसी सफ़र पे,
देती है रोज़ कितने ही इम्तिहान चिड़िया !
बाजार डालता है दाने तरह - तरह के
रहना क़दम - क़दम पर तू सावधान चिड़िया !
नोंचे हैं पंख किसने हर ओर सनसनी है,
जो होश में आये तो खोले ज़ुबान चिड़िया !