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निजता के पक्ष में / शलभ श्रीराम सिंह

रिश्तों की
हर चौहददी तोड़ डालते हैं कुछ लोग

अपनी निजता के पक्ष में
खड़ा करते हुए ख़ुद को
केवल स्त्री
केवल पुरुष रह जाते हैं अंततः

आदिम नैतिकता को
तैनात करते हुए तमाम नैतिकताओं के खिलाफ़
खारिज कर देते हैं
सारे के सारे संबंधों को एक साथ

भाषा को ठेंगा दिखा देते हैं कुछ लोग ,
बंद कर देते हैं बोलियों की बोली ,
धता बताकर चल देते हैं
मर्यादाओं ,परम्पराओं और विश्वासों को

रिश्तों की हर चौहददी तोड़ डालते हैं कुछ लोग
अपनी निजता के पक्ष में


रचनाकाल : 1992 साबरमती एक्सप्रेस