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निभाने प्यार का बन्धन चले आओ चले आओ / रंजना वर्मा

निभाने प्यार का बन्धन चले आओ चले आओ
महक जाये मेरा आँगन चले आओ चले आओ

भटक कर दूर देशों में जहाँ की धूल है फाँकी
कमाया है बहुत सा धन चले आओ चले आओ

तुम्हारे हर जनमदिन पर लगाया प्यार का पौधा
उसे देने नया जीवन चले आओ आओ

तुम्हारे बिन हुई सूनी मेरी ममता भरी झोली
मिटा कर मेरी हर उलझन चले आओ चले आओ

तुम्हारे लड़खड़ाते पांव को मैंने संभाला था
सँभालो अब मेरा जीवन चले आओ चले आओ

तुम्ही ने तो जमाने मे किया है सुर्खरू मुझ को
तुम्ही में जी लिया बचपन चले आओ चले आओ

बहारें जिन्दगानी की तुम्हारे साथ चलती थीं
बरसता रोज़ अब सावन चले आओ चले आओ