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निवासी हिन्दुस्तान के / जयराम दरवेशपुरी
Kavita Kosh से
पहिले निवासी हा सब हिन्दुस्तान के
मानऽ गन चाहे तू गीता कुरान के
हिन्दू हा रहल करऽ
सिख मुसलिम ईसाई
रज-गज बगिया के
फूल हका सब भाई
देखा देहो हंका-हंका
सउँसे जहान के पथ अलग हे
ढेर इहाँ पर अलगे-अलगे नाता
सबके जाना हे चल-चल के
एक्के भाग्य विधाता सबले आना
होवे गगना में सूरज अउ चान के
रंगन-रंगन के भरल विविधता
ई देशवा के शान हे
कूट-कूट के भाव भरल हे
मिल्लत सब के ज्ञान हे
सत्य अहिंसा से राँगल
इयाद करऽ ईमान के
सुख-दुख दुन्नूं
जुड़वां भाई ई जिनगी के साथ हे
मत घबरइहा विधना भेजल
पर, विधना के हाथ हे
मुदा मनुज के भेजन सुख दुख
चलिहा सब पहिचान के।