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नींद अपने आप दीवाने तलक तो आ गई / मुनव्वर राना
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नींद अपने आप दीवाने तलक तो आ गई
दोस्ती में धूप तह्खाने तलक तो आ गई
जाने अब कितना सफर बाकी बचा है उम्र का
जिन्दगी उब्ले हुये खाने तलक तो आ गई
चाहिये आब और क्या सेहरा नवरदी ये बता
मुझ को वहशत ले के वीराने तलक तो आ गई
देख ले ज़ालिम शिकारी मां की ममता देख ले
देख ले चिडिया तेरे दाने तलक तो आ गई
अब हवा थी इस तरफ की या करम फरमाई थी
जुल्फ जाना कम से कम शाने तलक तो आ गई
और कितनी ठोकरें खायेगी तू ऎ जिन्दगी
खुदकुशी करने को मयखाने तलक तो आ गई
और कितनी गरम जोशी चाहिए जज्बात में
दुश्मनी की आंच दस्ताने तलक तो आ गई