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न हम अब कोई भी वजाहत करेंगे / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
न अब हम कोई भी वजाहत करेंगे
चलो अब खुदा की इबादत करेंगे
सभी चंद रोज़ा जमाने की खुशियाँ
तो क्योंकर अब इससे मुहब्बत करेंगे
घने घोर बादल घिरे आसमाँ में
संभलना वगरना शरारत करेंगे
बहुत फूल खिलने लगे हैं चमन में
न तोड़ो इन्हें ये सियासत करेंगे
उसी राह पर खुद चलें लोग लेकिन
सदा दूसरों की मलामत करेंगे
अगर पोंछ दें चश्मे नम दूसरों के
तो समझो बड़ी ये लियाक़त करेंगे
हमेशा रहा साथ मे झूठ जिस के
वही आज मेरी सदाक़त करेंगे