भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पतझर में पेड़ / केशव शरण
Kavita Kosh से
विचार-विस्मित हूँ
और मुग्ध-भाव उन्हें देख-देख
प्रकृति के ये रंग-बिरंगे चित्र
जो नए सिरे से रंगे जाने के लिए
फिर से बन गए हैं स्केच