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पद 1 से 10 तक / तुलसीदास / पृष्ठ 1

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पद संख्या 1 तथा 2


(1)

गाइये गनपति जगबंदन। संकर सुवन भवानी नंदन।1।

सिद्धि- सदन, गज बदन, बिनायक। कृपा सिंधु, सुंदर, सब लायक।2।

मोदक-प्रिय , मुद मंगल-दाता। बिद्या-बारिधि, बुद्धि-बिधाता।3।

मांगत तुलसिदास कर जोरे। बसहिं रामसिय मानस मोरे।4।

(2)
 
दीन दयालु दिवाकर देवा। कर मुनि, मनुज, सुरासुर सेवा।।1

हिम तम-करि-केहरि करमाली। दहन दोष दुख दुरित रूजाली।2।

कोक कोकनद लोक प्रकासी। तेज प्रताप रूप् रस-रासी।3।

सारथि-पंगु, दिब्य रथ गामी। हरि संकर बिधि मूरति स्वामी।4।

बेद पुरान प्रगट जस जागै। तुलसी राम-भगति बर मांगै।5।