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पल भर भी गर जी लें साथ / मृदुला झा

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यह होगी अनुपम सौगात।

नील गगन में निकला चाँद,
जग-मग तारे सगरी रात।

अलसाई उन्मन है भोर,
फैली लाली उमगे गात।

मतवाली तितली चहुँ ओर,
फूलों पर करती आघात।

बगों में जब नाचे मोर,
समझो आई है बरसात।

आये जब आमों में बौर
कोयल कूके आधी रात।

विरहन के दुख का नहीं ओर,
नींद न आये बैरन रात।