पहले आळी बात पुराणे ख्याल बदलणे होंगे / दयाचंद मायना
पहले आळी बात पुराणे ख्याल बदलणे होंगे
ऊंच-नीच के शब्द पिता, फिलहाल बदलणे होंगे
ये सोचणा पड़ैगा पिता, भूल मैं ना रहया करते
नीच में बहैगा पाणॆए, ऊंच मैं ना बहया करते
ये भी तो इंसान हैं तम थोड़ी सी भी ना दया करते
छाती से लगालो जिनको दूर-दूर किया करते
मास्टर जी कहया करते, बुरे सवाल बदलणे होंगे
कलकत्ते और बंबई, दिल्ली आगरे में फून करा दो
नीच कह ना कोई सारै, ये लागू कानून करा दो
कानून के तोड़णिया का, पीस कै नै चून करा दो
लुच्चे, गुण्डे, बदमासां की, मिट्टी पलीत बिरून करा दो
लेकै डण्डा जूत ऊत चिण्डाल बदलणे होंगे
मजदूरों की दहाड़ी खा-खा, भारी-भारी सेठ होगे
खून गरीबां का पी-पी कै, मोटे-मोटे पेट होगे
घर-घर के म्हां चौधरी सारे ऑफिसर और मेठ होगे
धन माया के लोभी लाला, दया-धर्म तै लेट होगे
धन आळां की जगह अब, कंगाल बदलणे होंगे
जो माणस तै नफरत करते, उन स्याणा की जरुरत कोन्या
मुंह मैं राम बगल मैं छुरा, बुग वाणां की जरुरत कोन्या
शुद्धि के प्रचार सुणो, गंदे गाणां की जरुरत कोन्या
छोड़ दो ख्याल पहलड़े, पुराणां की जरुरत कोन्या
‘दयाचंद’ छंद नए-नए, हर साल बदलणे होंगे