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पहले उनके डर समझ में आ गए / जहीर कुरैशी

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पहले उनके डर समझ में आ गए
और फिर कायर समझ में आ गए

लोग जितने भी समझ आए न थे
रोज़ मिल—मिलकर समझ में आ गए

‘ढाई आखर’ तीन होते ही हमें
वासना के स्वर समझ में आ गए

फूल के घर जा रही हैं तितलियाँ
तितलियों के ‘ पर ’ समझ में आ गए

पीठ पीछे से चले थे इसलिए
दोस्तों के शर समझ में आ गए

कैसे नागिन हाथ आएगी नहीं
रूप के मन्तर समझ में आ गए

असली हीरा तो न मिल पाया, मगर
काँच के पत्थर समझ में आ गए