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पाकिस्तान / केदारनाथ अग्रवाल

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पाकिस्तान
हो गया कब्रिस्तान।

भीतर गड़े भुट्टो आराम करते हैं;
बाहर खड़े जिया
शस्त्रास्त्र को सलाम करते हैं।

अल्लाह का नाम भुट्टो ने लिया,
जिया ने लिया;
एक ने अल्लाह के नाम पर
जान दी;
एक ने अल्लाह के नाम पर
जान ली।

नमाज पढ़ते हैं नमाजिए मस्जिद में,
गए को शहीद
रह गए को
दोजखी गुनहगार कहते हैं।
चीखता-चिल्लाता है
प्रबल जनमत खून के आँसू बहाता।

गए के साथ सहानुभूति-
रह गए की भर्त्सना करती हैं
संसार के समाचार-पत्रों की
छोटी-से-छोटी
बड़ी-से-बड़ी
टिप्पणियाँ।

हवा में उड़ता है
जिया के इर्द-गिर्द
अट्टहास करता यमराज-
दिवास्वप्नी नखलिस्तान पर
व्यंग करता।

रचनाकाल: ०५-०४-१९७९