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पाणी आली पाणी प्यादे / दयाचंद मायना

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पाणी आली पाणी प्यादे, क्यूं अणबोल खड़ी होगी
के कूएं का नीर सपड़ग्या, ठाकै डोल खड़ी होगी

नींबू और संतरे के मैं, गहरी छां जामण की
परवा, पछवा, पवन चालरी, घटा ऊठरी सामण की
तेरे बावन गज के दामण की, क्यूं मारकै झोल खड़ी होगी

पंद्रा सोळा बीस बरस की, तेरी उमर हुई रंग छांटण की
के ल्याई के ले ज्यागी, बाण छोड़दे नाटण की
एक चीज दिल डाटण की, क्यूं लाकै मोल खड़ी होगी

मीठी-मीठी बोलै प्यारी, कोए परदेशी मारया जा
रूप गजब का लेरी बैरण, फोटू के मैं तारय़ा जा
यो दिल तेरे पै बारया जा, क्यूं घूंघट खोल खड़ी होगी

इतणा सोचै थी तै राणी, पाणी नै ना आणा था
ठा कै दोघड़ चाल पड़ी, तनै पाणी जरुर पिलाणा था
‘दयाचंद’ का गाणा था, क्यूं डामांडोल खड़ी होगी