पावन रूस की छाँव में / मरीना स्विताएवा / अनिल जनविजय
मेरे माथे पर, जानो तुम
जलते हैं सितारे
दाएँ हाथ में — स्वर्ग है.
और बाएँ हाथ में — नर्क हमारे ।
पास हमारे रेशमी मेखला
सारे इम्तिहानों का तोड़
सोऊँ उस किताब पर सिर रख
जो बादशाहों का जोड़ ।
क्या बहुत हैं ऐसे यहाँ
यह है पावन रूस,
तू हवा से पूछ यह
तू भेड़ियों से पूछ ।
इस इलाके से उस इलाके
इस शहर से उस शहर
दाएँ हाथ में — स्वर्ग हमा॒रे.
और बाएँ हाथ में — नर्क पहर ।
स्वर्ग और नरक मिलाया तेरे चषक में साकी
अब तेरे जीवन का, बस, एक ही दिन है बाक़ी
हे वर ! मुझे विदा करो
उस सातवें पड़ाव में
हमारे जैसे बहुत हैं
पावन रूस की छाँव में ।
1919
मूल रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय
लीजिए, अब यही कविता मूल रूसी भाषा में पढ़िए
Марина Цветаева
А во лбу моём — знай! —
Звёзды горят.
В правой рученьке — рай,
В левой рученьке — ад.
Есть и шёлковый пояс —
От всех мытарств.
Головою покоюсь
На Книге Царств.
Много ль нас таких
На святой Руси —
У ветров спроси,
У волков спроси.
Так из края в край,
Так из града в град,
В правой рученьке — рай,
В левой рученьке — ад.
Рай и ад намешала тебе в питьё,
День единый теперь — житие твоё.
Проводи, жених,
До седьмой версты!
Много нас таких
На святой Руси.
1919г.