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पुरुष / ज़िन्दगी को मैंने थामा बहुत / पद्मजा शर्मा

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वह ताला लगाकर घर से बाहर जा नहीं सकता
टूटा बटन टाँक नहीं सकता
किस रंग का धागा कहाँ काम में लिया जाए
ठीक से जान नहीं सकता
यहाँ तक कि कटोरदान में रखी रोटी तक
निकाल कर खा नहीं सकता
वह और क्या-क्या नहीं कर सकता है
नहीं जानती
पर यह तय है
वह तुम्हें घर से निकाल नहीं सकता

2.
स्त्री की हँसी
फँसाती है पुरुष को
आँसू बन जाते हथियार
उसका देखना चलाना है तीर
पलकें झुकाना पुरुष का आह्वान
चुप्पी
हाँ
स्त्री का बोलना है स्वीकार
बस पुरुष इतना ही जानता है स्त्री को

3.
एक स्त्री अगर कलाकार है
सामान्यत: लोग उसके कलाकार रूप से पहले
उसके स्त्री रूप को देखते हैं
जबकि पुरुष के साथ ऐसा नहीं है
पुरुष पहले कलाकार
और फिर पुरुष है
जबकि स्त्री पहले स्त्री फिर कलाकार

4.
पुरुष बहुत भागता है
प्यार के लिए
प्यार मिल जाता है
तब भी भागता है
जाने किसके लिए
इतना भागता है
कि भागते-भागते
एक दिन प्यार से भी आगे निकल जाता है पुरुष
प्यार के लिए
और स्त्री देखती रह जाती है