भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पृथ्वी के मोह-भंग का समय / शलभ श्रीराम सिंह

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

यहाँ
परिन्दों से छीना जा रहा है
आकाश

वनस्पतियों से
हरियाली छीनी जा रही है यहाँ

छीना जा रहा है नदियों से उनका प्रवाह

पानी के विद्रोह का समय समीप है
समीप है समय वनस्पतियों की बगावत का
पृथ्वी से मोहभंग का समय समीप है अब

रचनाकाल : 1991, नई दिल्ली