भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

प्यार के बदले / कुंवर नारायण

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कई दर्द थे जीवन में :
एक दर्द और सही, मैंने सोचा --
इतना भी बे-दर्द होकर क्या जीना !

अपना लिया उसे भी
अपना ही समझ कर

जो दर्द अपनों ने दिया
प्यार के बदले...