भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

प्यार पाकर आपका जिस दिन फ़ना हो जाऊँगा / बाबा बैद्यनाथ झा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

प्यार पाकर आपका जिस दिन फ़ना हो जाऊँगा।
देखकर वैसी ख़ुशी मैं बावला हो जाऊँगा।

आप खुशबू बन उड़ेंगी मैं हवा बनकर उड़ूँ,
साथ पाकर प्रेम का फिर मैं घटा हो जाऊँगा।

आरजू हैं आप मेरी और हैं मंज़िल सनम,
आप राधा, कृष्ण बन मैं फिर ख़ुदा हो जाऊँगा।

मौज़ में डूबा रहूँगा गीत ग़ज़लें भी लिखूँ,
बेवफ़ा ज़ालिम ज़माने से जुदा हो जाऊँगा।

घूरते रहते हमेशा आपको कमबख़्त कुछ,
उन रक़ीबों से हमेशा अलहदा हो जाऊँगा।

रोग कोरोना सताता आज दुनिया रो रही,
आपकी मुस्कान लेकर मैं दवा हो जाऊँगा।

चार हैं पुरुषार्थ ‘बाबा’ प्राप्त कर लें आप हम,
फिर यहाँ से मैं ख़ुशी में अलविदा हो जाऊँगा।