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प्यार में भी वो वासना देखे / डी. एम. मिश्र
Kavita Kosh से
प्यार में भी वो वासना देखे
क्या हकीकत मगर वो क्या देखे
प्यार मेरे लिए खुदा जैसे
किस नजर से वो बेवफ़ा देखे
उसके बारे में और क्या बोलूँ
आँख ही जब नहीं वो क्या देखे
उसकी रग-रग से लोग वाकिफ़ हैं
सिर्फ़ अपना वो फ़ायदा देखे
एक मक्कार दूसरों के लिए
ख़ूब कानून का़यदा देखे
वह पलटकर ज़रूर आयेगा
मेरा घर द्वार सब खुला देखे
हाथ खाली है मगर फ़िक्र नहीं
यार आये तो दिल बड़ा देखे
आज साकी़ का वहम टूटेगा
बिन पिये भी मेरा नशा देखे