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प्यार लोगों ने जताया, उम्र भर / जहीर कुरैशी
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प्यार लोगों ने जताया , उम्र भर
और मैं भी मुस्कुराया , उम्र भर
संग साये की तरह चलती रही
जिंदगी की मोह-माया , उम्र भर
बंद कमरे में वो रो लेता है रोज
जिसने लोगों को हँसाया , उम्र भर
कुछ तो ऐसे भेद थे अपने ही पास
जिनको ख़ुद से भी छिपाया , उम्र भर
मेरे आँगन में खड़ा वो हरसिंगार
मुक्त मन से खिलखिलाया , उम्र भर
नींद लगते साथ ही दिखता है रोज
एक सपने ने सताया , उम्र भर
फिर भी,लगता है कि कुछ सीखे नहीं
यूँ तो जीवन ने सिखाया,उम्र भर