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प्यासे भौंरों को अमराई देता हूँ / डी. एम. मिश्र

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प्यासे भौंरों को अमराई देता हूँ
तपते मौसम को पुरवाई देता हूँ

शिद्दत से महसूस करो उनकी पीड़ा
दिल वालों को पीर पराई देता हूँ

ख़्वाबों में तो मेरा आना-जाना है
कैसे कहते हो तन्हाई देता हूँ

जो क़ुर्बान वतन पर अपने हो जाते
उनको मैं सौ बार बधाई देता हूँ

रोक न पाया कोई जाने वाले को
नम आँखों से मगर विदाई देता हूँ

उनके आगे बस रख दिया था आईना
दुश्मन जैसा उन्हें दिखाई देता हूँ