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फिरते हैं कुछ ग़ज़ाल फ़क़ीरों के आसपास / मेहर गेरा
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फिरते हैं कुछ ग़ज़ाल फ़क़ीरों के आसपास
कुछ दायरे हैं सीधी लकीरों के आसपास
जो ढूंढने चले थे, समंदर की तह का राज़
वो लोग फिर रहे हैं जंज़ीरों के आसपास
मैं आज़मा चुका हूँ तेरा हौसला बहुत
टूटी हुई कमान है तीरों के आसपास।