बंसी ऐसी तो न बजा !
हठीले मोहे ऐसे तो न सता !!
तान सुनत मैं होश गँवाऊँ
लोग हँसें मैं समझ न पाऊँ
चतुरन से नादान कहाऊँ
ऐसा दिन न दिखा
हठीले मोहे ऐसे तो न सता !!
बंसी ऐसी तो न बजा ।।
धुन मीठी मन को झकझोरे
सुर से पकड़ बुलाए धोरे
कान्हा तोरे करूँ निहोरे
और न मोहे नचा !
हठीले मोहे ऐसे तो न सता !
बंसी ऐसी तो न बजा ।।
बिन कारन मोरी सुध बिसराई
सारी उमर मोहे निन्दिया न आई
अब तो आ जा ओ हरजाई
मन की तपन मिटा !
हठीले मोहे ऐसे तो न सता ।
बंसी ऐसी तो न बजा ।।