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बड़ा आदमी / ज़िन्दगी को मैंने थामा बहुत / पद्मजा शर्मा
Kavita Kosh से
मुझे वह बड़ा आदमी
अच्छा नहीं लगता
जो किसी को छोटा करके
बनता है बड़ा
इस तरह बड़ा बनकर
कहाँ रह पाता है आदमी
आदमी भी