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बताऊँ किस तरह मैं मुझसे क्या-क्या पूछता है / सूफ़ी सुरेन्द्र चतुर्वेदी

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बताऊँ किस तरह मैं मुझसे क्या-क्या पूछता है ।
तेरे बारे में अब सारा मुहल्ला पूछता है ।

नहीं रहता है शायद इस शहर में और कोई,
जिसे देखो वो तेरे घर का रस्ता पूछता है ।

उजाले भी लिखे हैं या नहीं क़िस्मत में मेरी,
बदन से अब मेरे मेरा ही साया पूछता है ।

बहुत बेचैन होकर आज भी कर्बोबला<ref>करबला जहाँ इमाम हुसैन अपने 72 परिवारवालों के साथ नमाज़ अदा करते समय प्यासे शहीद हुए</ref> में,
मैं कैसे डूब कर मर जाऊँ दरिया पूछता है ।

बुझा सकता है मेरी प्यास क्या तू ये बता दे,
समन्दर से यही इक बात सहरा पूछता है ।

फ़क़त इक माँ है ऐसी जो मेरी सुख-दुःख की बातें,
अगर चुप भी रहे तो उसका चेहरा पूछता है ।

मैं ख़ुद एक पेड़ में तब्दील हो जाता हूँ उस दम,
कहाँ रक्खूँ मैं घर, जब ये परिन्दा पूछता है ।

शब्दार्थ
<references/>