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बस अब देखते रहिए / मुकेश निर्विकार

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आज आया है फिर से
बूड़े राजा का दिल
मल्लाह की बेटी पर
बस अब देखते रहिए...

आज कुपित हुए हैं
महाराज फिर से
अपने सेवक पर
बस अब देखते रहिए ....

आज गहराया है संदेह
भूपति का
धरित्री पर
बस अब देखते रहिए....

आज हठ का बैठे हैं युवराज,
खेल सर-कलम का
देखने की
बस अब देखते रहिए....

बस अब देखते रहिए-
फिर किसी एक सत्यवती का
बेवक्त विधवा होना....

फिर किसी एक सेवक का
सर कलम होना....
फिर किसी एक अबला का
उम्मीद भरा पेट लिए
दर-दर भटकना
और फिर किसी निरीह प्रजा का
बे-बात कत्ल रहिए...

बस अब देखते रहिए......