भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बहुजन समाज पार्टी या करै आरती / अमर सिंह छाछिया

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बहुजन समाज पार्टी या करै आरती।
भीम करैंगे काम जिसनै रटते सुबह-शाम।...टेक

करै सुणाई जै या आई सबका पेट भर देगी।
मोटे पेटां आले सैं जितने उसनै ढीला कर देगी।
मजदूर किसान ये रह रे पिछे इननै आगै कर देगी।
यो रहता नौकर खाता ठोकर इनका भी आदर कर देगी।
इसा फेसला कर देगी जो आवै सबके काम...

थारा ए राज, थाम सुण लो आज फेर भी गलती खावै सै।
थाम नै देख के राजी भी कोनी फेर भी उसनै बतावै सै।
आंख खोल मत सोवै भाई वक्त लिकड़ा जावै सै।
कांशीराम का यो फोटू थारै सामनै आवै सै।
थामै नै जगावै सै, यो बतावै सै, यो हाथी का सरनाम...

देओ वोट थारी लेई ओट मतना पाटो न्यारे।
जितणे काम रह रे बाकी सारे बणैंगे थारे।
लिखित रूप म्हं नाम थारे ये लिस्ट म्हं उतारे।
जगदीश काजलां, कांशीराम ये थारी शरण म्हं आरे।
थामी सुण ल्यो सारे, जितणे आरे, ले लो दिल्ली का नाम...

बेरोजगारी इतणी बढ़गी दुनिया दुखी होरी सै।
पढ़े लिखे नै ना मिलै नौकरी रिश्वत घणी होरी सै।
लाखों रुपे और सिफारस या ठाडे की होरी सै।
गरीब आदमी ल्यावै कितनै मर तो इसकी आरी सै।
या सरकार भूखी आरी सै लुटा-खोश मचा री सै।
अमरसिंह बणै पूंजीपतियां के काम...।