भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बहुजन समाज पार्टी या थारै हक म्हं आई / अमर सिंह छाछिया

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बहुजन समाज पार्टी या थारै हक म्हं आई।
भारत देश सारे नै इबकै खुशी मनाई।...टेक

फसल म्हं सोका, पानी रोक्या इन्हैं नै दिया धोखा।
चार एकड़ तै गया दो या म्हं इबकै ए था सोखा।
एकड़-दोकड़ का गया खाली सारै पड़ रा रूखा
जमींदार कै जिब आवै सुसकी ना बाड़ी म्हं चुखा।
आठस-नोश का खाद-बीज पांच बर या बाही...

जमींदार यो लूट्या सुंडी नै बाड़ी इसकी खाई।
ठेका ले कै करी खेती मर तो उन की आई।
स्प्रे कर-कर हार गये या बैठी फूल पै पाई।
मांगणिये ये काटै चक्कर इन नै फांसी लाई।
25 हजार रहगे बाकी 5000 की खुंडी लाई...

कदे शाम नै ना आई बिजली अंधेर म्हं खाणा खाया
बिना लाईट भी बिल थारै उतणा ऐ आया।
60 के 100 करैं थारै जुर्माना भी यो लाया।
जै कोए ना आया भरकै उसका मीटर भी पाड़ बगाया।
अब तै आंख खोल लो रै इनकै के या सगाई...

घणी तो गरीब नै या महंगाई मारगी।
इसके कारण इबकै या कांग्रेस भी हार गी।
भा.ज.पा. भी हल्का यो छोड़ भाजगी।
प्रधानमंत्री का लेओ इस्तीफा या चर्चा चालगी।
अमरसिंह बड़सी आला कह रा कर दो इनकी सफाई