भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बहुत से रहबर कहगे री अमल करणिया रहगे री / सतबीर पाई

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बहुत से रहबर कहगे री, अमल करणिया रहगे री
सहगे तन पै बहुत मुसीबत सच कहणे तै रुके नहीं
आंधी और तूफानों के आगै भी कभी झुके नहीं...टेक

गौतम बुद्ध शुद्ध मानवता के हो लिए खास पुजारी
अशोक किसे सम्राट आप खुद थे बुद्ध के प्रचारी
सारी दुनिया जाणै सै, उनकी बात पिछाणै सै
ठाणै सै जो मानव दानव नै खतम करण तै चूके नहीं...

रामास्वामी पेरियार और शाहू जी महाराज हुए
मानव को मानव समझा हर नर के सरताज हुए
जांबाज हुए शिक्षा पाई, जोतिबा सावित्री बाई
खूब पढ़ाई करवाई और खुद भी पढ़ण तै ऊके नहीं...

जात पात के घोर विरोधी नानक और रविदास हुए
नामदेव, कबीर, दादू सैन भगत भी खास हुए
प्रयास हुए कुछ करणा था, निर्भय थे ना डरणा था
यू के नै मरणा था, होए अमर मिशन भी मुकै नहीं...

वर्ण व्यवस्था की नीम भीम नै बिल्कुल कर्या सफाया री
शिक्षित संगठित संघर्ष करण का पूरा बिगुल बजाया री
पाया लिख्या किताबां मैं, इतनी ताकत थी बाबा मैं,
पाई वाले सतबीर भी के कोयल की तरह कूकै नहीं...