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बाँसुरिया! तान में जोड़ले कैसें बाण / भवप्रीतानन्द ओझा

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झूमर

बाँसुरिया! तान में जोड़ले कैसें बाण
बाँस के बाँसुरी तोहें, नहीं आँखि कान
बाँसुरिया तयो कैसें अचूक निशाना
छीनले मदन सें कि भेंटलो दान
बाँसुरिया, जही फूल वाणें ई गुमान
शबदें मिलाये तोरा करे वरिषान
बाँसुरिया, लेले कत्ते अबला परान
शब्दें ब्रह्म मिलावये कृष्ण भगवान
बाँसुरिया, भवप्रीताक् हरि पदें ध्यान।