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बात को यूं तो जमा ले जायेंगे / अश्वनी शर्मा
Kavita Kosh से
बात को यूं तो जमा ले जायेंगे
आप भी कब तक संभाले जायेंगे।
हाशिये में फेंक दो चाहे हमें
आसमां तक ये हवाले जायेंगे।
एक शिद्दत है हमारी ज़िन्दगी
एक अर्से तक निभा ले जायेंगे।
मान लो चाहे हमें तुम आंकड़ा
आंकड़े इक दिन खंगाले जायेंगे।
खींच लो तुम रेख हम नीचे सही
ये लकींरे सब बहा ले जायेंगे।
जिन हवाओं में छिपे कुछ राज हैं
उन हवाओं को घुमा ले जायेंगे।
आग कब, छपता धुंआ अख़बार में
वो धुंए में सब छुपा ले जायेंगे।