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बिन लिखे छन्द दिन भी गुजरता नहीं / बाबा बैद्यनाथ झा
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बिन लिखे छन्द दिन भी गुजरता नहीं।
गीत गाये बिना मन बहलता नहीं।
भाव अनुपम हृदय में उमंगे भरे,
व्यर्थ जब लेखनी में उतरता नहीं।
ज्ञान का आपके पास भंडार है,
शब्द गूँगा बना जो निकलता नहीं।
लोग कहते कि Ük`aगार रसराज है,
लाभ क्या जब हृदय ही पिघलता नहीं।
रूपसी सामने है इधर देखती,
एक संकेत बिन दिल मचलता नहीं।