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बुरे वक़्त में जन्मी बेटियाँ / शरद कोकास

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बेटियाँ जो कभी जन्मीं ही नहीं
वे मृत्यु के दुख से मुक्त रहीं
जन्म लिया जिन्होंने इस नश्वर संसार में
उन्हें गुजरना पड़ा इस मरणांतक प्रक्रिया से

अस्तित्व में आने से लेकर
अस्तित्वहीन हो जाने की इस लघु अवधि में
एक पूरी सदी उनकी देह से गुज़र गई
किसी को पता ही नहीं चला और वे
दाखि़ल हो गई समय के इस अमूर्त चित्र में

शायद ही आ पातीं वे कभी समकालीन कविता में
यदि उनके जिस्म से एक एक कपड़ा नोंचकर
जलते टायरों की माला उन्हें न पहनाई गई होती

शायद ही वे आ पाती कभी राष्ट्रीय समाचारों में
अगर उनकी मृत देहों से स्तन अलग करने और
उन पर जुगुप्सा भरा वीर्यपात करने की
बदतमीज़ियाँ नहीं की जातीं
अफसोस कि उनमें
भारतीय सैनिकों की लाशों के साथ
बदसलूकी पर आक्रोश जताने वाले लोग भी थे

पुरुषों के पजामे उतरवाकर धर्म जानने
और उनकी ज़िन्दगी का फैसला करने का तरीका
वे पीछे छोड़ चुके थे
इस नरसंहार में इस बात की कोई दरकार न थी
कि जिसे मारा जाना है उसका धर्म क्या है

उनका सबसे प्रिय शिकार थीं
पीठ पर ज़िम्मेदारी का बोझ लिए
स्कूल जाने वाली नन्हीं नन्हीं बच्चियाँ
नरपिशाचों की नज़र पड़ते ही
जो औरतों में तब्दील हो गईं
कैलेंडर से अलग होती तारीख़ों के ढेर में
गुम हो गईं वे बच्चियाँ
और खु़द पर हुए जु़ल्म के बारे में
बयान देने के लिए जीवित नहीं बचीं

धर्म के तानाशाहों द्वारा
उनके नग्न शरीरों पर खड़े होकर किए गए अट्टहास
अभी थमे नहीं हैं
भय का भयावह दैत्य
फिलहाल राहत का मुखौटा धारण किए हुए है

अभी आरोपों के पालने में
न्यायिक प्रक्रिया अंगूठा चूस रही है
ईश्वर की अदालत में प्रस्तुत करने के लिए
तर्क जुटाए जा रहे हैं
मनु से लेकर न्यूटन तक तमाम ऋषि
मुगलों व अंग्रेज़ों की बसाई दिल्ली में
फिर किसी राज्याभिषेक की तैयारी में है

अभी राजनीति की बिसात पर
अगले कई दशकों की चालें सोची जा चुकी हैं
अभी कई मोहरे दाँव पर लगे हैं
धर्मप्राण राजाओं और वज़ीरों को बचाने के लिए
वहीं तुलसी की क्षेपक कविता
ढोल गँवार शूद्र पशु नारी
चरितार्थ की जा रही है

ताड़ना के अंतिम बिन्दु पर स्थापित
इस आधी दुनिया के लिए
बहुत दुख से कह रही है प्राध्यापिका रंजना अपनी छात्राओं से
तुम्हें तो पढ़ने-लिखने का मौका मिल गया मेरी बच्चियों
शायद तुम्हारी बेटियों या पोतियों को न मिल पाए

बावजूद इसके कि जनतंत्र की इस विशाल खाई में
जहाँ नैतिकता, ईमान, सद्भावना और समानता की लाशें
अंगभंग की अवस्था में बिखरी पड़ी हैं
गिद्धों की नज़र से बचती कुछ बेटियाँ
धीरे धीरे बड़ी हो रही हैं।

-2002