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बेइमानां नै लूट कै म्हारा देश खा लिया / सतबीर पाई

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बेइमानां नै लूट के म्हारा देश खा लिया
गरीबों का हमदर्द यू कांशीराम आ लिया...टेक

सवर्ण हिन्दू बणे फिरै यां मति मार कै म्हारी
धन दौलत जागीर तलक भी हड़प लई सारी
साठ होगे साल आज तक आँख खुली ना थारी
फूट डालगे म्हारे अन्दर इसी करगे होशियारी
यां करणे लागे मौज, गोज मैं निर्धन पा लिया...

न्यारे-न्यारे हिस्सों मैं म्हारी बाँटी जाति क्यूं
लुहार चमार कुम्हार कोई झीमर खाती क्यूं
जब होग्या देश आजाद म्हारे तै बदबू आती क्यूं
या नफरत की तलवार बीच मैं धर दी ताती क्यूं
यू हक की लड़ै लड़ाई न्याय का झण्डा ठा लिया...

गरीब के ऊपर होते आए भारी अत्याचार किसे
जितने धर्मस्थान बणे मनुवादी ठेकेदार किसे
म्हारे साथ मैं धोखा करके लूट बणे साहुकार किसे
भेदभाव का जाल बिछा कै बण बैठे मुख्त्यार किसे
पिछला जाओ टेम भूल जो पाच्छे जा लिया...

झूठे साच्चे ढोंग रचा कै पागल हमें बणाते
स्वर्ग नरक का देवैं उदाहरण व्यर्थ में हमें बहकाते
किसके कटे प्लॉट स्वर्ग मैं हम इन्हें पूछणा चाहते
जै होते स्वर्ग और नरक कहीं यां तो पहल्यां फांसी खाते
सतबीर सिंह पाई वाले नै सब दुखड़ा गा लिया...