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बेटे नै लपेट कै छालणे के मांह / दयाचंद मायना
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बेटे नै लपेट कै छालणे के मांह
कहने लगी ले सो जा बेटा पालणे के मांह...टेक
चाहे दुनियां कुछ भी कह, पर तेरे कारण खे ल्यूंगी
दुख, दर्द, मुसीबत, विपदा, आपणे सिर पै ले लूंगी
तनै पक्षी की जूं से ल्यूंगी, इस आलणे के मांह...
माँ-बेटे का फर्ज समझकै, सेवा ठा दूंगी
न्हुवा-धुवा कै सुबह-शाम, तेरे लाड़ लड़ा दूंगी
तन मन की बाजी ला दूंगी, सम्भालने के मांह...
तू काबुल के घर होता तै, मैं गीत गा देती
गरीब, भिखारी, साधू, ब्राह्मण, गऊ जमा देती
तेरे पिता नै ला देती, घी घालणे के मांह...
कोए कवि सुणैगा साफा जापा, जंगल का गादे
या नाव पड़ी मझधार तू इसनै पार लगादे
‘दयाचन्द’ हांगा लादे रंग ढालणे के मांह...