भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

भज मन प्यारे सीताराम / हनुमानप्रसाद पोद्दार

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

(राग जंगला)

राम राम राम राम राम राम राम।
भज मन प्यारे सीताराम॥
संतोंके जीवन ध्रुव-तारे, भक्तों के प्राणोंसे प्यारे।
विश्वभर, सब जग रखवारे, सब बिधि पूरनकाम॥
राम राम॥
अजामील-दुख टारनहारे, गज-गनिका के तारनहारे।
द्रुपद-सुता भय-बारन-हारे, सुखमय मंगलधाम॥
राम राम॥
अनिल-‌अनल-जल-रबि-ससि-तारे, पृथ्वी-गगन, गंध-रस-सारे।
तुझ सरिता के सब फौवारे, तुम सबके विश्राम॥
राम-राम॥
तुम पर धन-जन, तन-मन बारे, तुझ प्रेमामृतमद-मतवारे।
धन्य धन्य! ते जग-‌उजियारे, जिनके मुख यह नाम॥
राम राम॥