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पद-रत्नाकर / भाग- 5 / हनुमानप्रसाद पोद्दार
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विषय सूची
पद
- भज मन प्यारे सीताराम / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जगविश्राम! मंगलधाम! / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नारायण शुभ नाम दिव्य है / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- करतलसों ताली देत, राम मुख बोली / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मुखसों कहत राम-नाम पंथ चलत जोई / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- साधन नाम-सम नहिं आन / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- भली है राम-नाम की ओट / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- भूल जग के विषयन कों / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- कर मन हरि को ध्यान / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- यदुपति व्रजपति श्यामा-श्याम / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- रघुपति राघव राजाराम / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- राम राम गाओ संतो / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- राम राम राम भजो / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- प्रेम-मुदित मन से कहो / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- भजौ नित राधा नाम उदार / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- और सब भूल भले ही / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- चाहता जो परम सुख तू / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- बिनती सुण हाँरी, जप लै सुखकारी / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नाचत गौर प्रेम अधीर / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मेरे एक राम-नाम आधार / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जीभलड़ीने चोखी बाण पड़ी / हनुमानप्रसाद पोद्दार
प्रबोध-चेतावनी
- अरे मन-मधुप! छोड़ अज्ञान / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- अरे मन! भज व्रजराजकुमार / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- अरे मन! भज नित नन्दकिशोर / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- अरे मन! भज नव नन्दकुमार / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- दुरलभ नरदेह पाइ, भूल्यौ क्यों, बावरे / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जिस शरीर का मूर्ख, कर रहा तू इतना अभिमान / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- कहाँ, कहाँ? किस तरफ जा रहा / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जो सुख-रूपी जल हेतु विषय-मग जाते / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- रक्त-मांस-मल-मूत्र-मेद-मज्जा / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- प्रभु से रहित, विषय-विष-पूरित / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- भोग विषभरे मधुर पकवान / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- क्षणभंगुर प्रत्यक्ष जगत के / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नित्य नयी आसक्ति, कामना / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जग में तेरा कुछ नहीं / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- बृथा क्यौं मानव-जनम गँवावै / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- अरे, तू क्यों अमूल्य तन खोवै? / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- चेत कर नर, चेत कर / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- पल-भर पहले जो कहता था / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- तजो रे मन झूठे सुखकी आसा / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जगत में स्वारथ के सब मीत / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मन, कछु वा दिन की सुधि राख / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- अरे मन, तू कछु सोच-विचार / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- अरे मन, कर प्रभु पर बिस्वास / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मूढ! केहि बल पर तू इतरात / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- छोड मन तू मेरा-मेरा, अंत में कोई नहीं तेरा / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जगतमें कोइ नहिं तेरा रे / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- इधर उधर क्यों भटक रहा मन-भ्रमर / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- भोग अति दुःख नरक के मूल / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- देख निज नित्य निकेतन द्वार / हनुमानप्रसाद पोद्दार
अभिलाषा
- नंद-नँदन श्रीकृष्ण एक ही हैं / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- एक लालसा मन महँ धारौं / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मौन ग्रहण कर रटूँ निरन्तर / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मेरे एक राधा नाम अधार / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- काननि सुनौं स्याम की मुरली / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- देखा करूँ तुहारी लीला / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- लाखों बार तपाये उज्ज्वल / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नहीं चाहता राज्य चक्रवर्ती / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- प्रियतम! तुमने सहज सभी सुविधा दी / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- भरे रहो तुम मधुर मनोहर / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- तन-मन-धन अर्पन कियौ / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जाहि देखि, चाहत नहीं / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- भरे रहो तुम सदा हृदय में / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- प्रियतम! भरते रहो नित्य तुम / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जग में मरकर, तुममें जीवन / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- करें कभी कोई मेरा अति / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- हर्षित होता देख परम जो / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मेरे अखिल विश्व-जीवन के / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- बनूँ तुम्हारे शयन-कक्ष का पलँग / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मेरी ममता सारी केवल तुममें / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- चाह तुम्हारी ही हो प्यारे / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- अणु-महान् तुम! अणु-महान् में / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- प्रभो! तुम्हारी सहज कृपा पर / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- स्वामी के शुचि चरण-कमल में / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सुख-संपति में तव प्रसाद-अमृत का / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- हर लो प्रभु! मेरी भोग-दासता भारी / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जड-चेतन-सबमें देखूँ नित / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- पूरी हो सर्वत्र सर्वथा, स्वामी! / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- डरें नहीं कोई भी मुझसे / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नहीं मान-धन, कीर्ति-भोग की / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नहीं चाहता क्षणभर भी हो / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मुझसे कभी किसी प्राणी का / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- दुःख-मृत्यु में देखूँ मैं नित / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- शान्ति, दया, स्वाभाविक करुणा / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सबको मिले सुबुद्धि, रहें सब / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- अव्यवस्थित व्यस्त घोर अशान्त / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- प्रभु की याद दिलाने वाले दुःख / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सद्विचार हों उदित सर्वदा / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- रहै न रंचक राग-रति / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- बनूँ सदा रोगी की औषध / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- प्रभुका लीला-मञ्च बने / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- चित्त करे प्रभु का चिन्तन नित / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- करूँ कुछ भी, कहूँ कुछ भी / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सब अच्छा खायें, सब अच्छा पहनें / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- तुमहि तजि जाऊँ कहाँ अब प्यारे / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- बिछुरन-मिलन सरीर कौ / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- स्वागत! स्वागत! आओ प्यारे! / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सुन्यो तेरो पतित-पावन नाम! / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मो कों कछु न चहिये राम / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- चहौं बस एक यही श्रीराम / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सनातन-सत-चित-आनँद-रूप / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सकुञ्च भरे अधखिले सुमन में / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- शुद्ध, सच्चिदानंद, सनातन / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- प्रभु अनन्त आनन्द-सुधा-निधि / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मन बन मधुप हरिपद-सरोरुह लीन हो / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- रे मन हरि-सुमिरन करि लीजै / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मन में चाह जगी थी प्रियतम! / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- उनके होकर हम दुःखी हों / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- कर लो आत्मसात् तुम मुझको / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- बिना प्रीति नहिं मिलते प्रियतम / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जान गया जो भरी हुई हैं / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- दर-दर भटक, नीच मैं / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- तव अनन्त आशा का दीपक / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- ईश-विरोधी धर्म-विरोधी / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नहीं करूँगा कभी किसी का / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- माधव! मन नहिं मानत बोध / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- दीन बन्धु हे करुणाकर प्रभु! / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सुनावौ कबि! (तुम) रचना ऐसी आज / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- धन-जन-कविता सुंदरी / हनुमानप्रसाद पोद्दार