भाई रै सरकार रोप गी चाला।
भाई रै इस गरीब का ऐ गाला।...टेक
हद तै आगै या महंगाई गई।
1600 कै भा या कणक आई।
इसम्हं तो मर इस गरीब की आई।
और भी बढ़ैगा या सुणने म्हं आई।
भाई रै फेरो रै बी.एस.पी. की माला...।
इसनै तो या मुसीबत घणी होई।
जगह-जगह बेज्जती इसकी होई।
कहवै तो इसकी सुणे ना कोई
या हुकूमत भी इन्हें की होई।
भाई रै थारी ऐ सै टाला...।
थाम कट्ठे होकै रसूक बणा दो।
थामी गरीबी का नारा ला दो।
कांशीराम नै इबकै थामी जीता दो।
बी.एस.पी. का नेता थाम बणा दो।
भाई रै यो ऐ थारा रुखाला...।
कांशीराम आया तो रुक्का सारै पड़ जागा।
अम्बेडकर का संविधान लागू कर जागा।
सबका हक एक सा बण जागा।
मजदूर-किसान का भी आदर बण जाणा।
अमरसिंह रै हो दुश्मन का मुंह काला...।