भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
भाई वोट देणियांे की फिलहाल जरूरत है / अमर सिंह छाछिया
Kavita Kosh से
भाई वोट देणियों की फिलहाल जरूरत है।
भाई दिल्ली म्हं भी मायावती का मुहूर्त है।...टेक
नरेश सारन हवा बतावै,
इबकै ब.स.पा. आवै।
प्रदेश हरियाणा भी इसे नै चाह्वै।
भाई सारी पार्टियों म्हं यो ऐ मशहूर है।
देश की मजबूरी,
यो कांशीराम जरूरी।
मजदूर-किसान के ऊपर या चालै सै छुरी।
भाई यो नेता सबनै मंजूर है।
भीम नै रहम आया,
इन गरीबांे का हक दुवाया।
इन जाल-साज बेईमानां नै तलै दबाया।
भाई लिखी संविधान म्हं देख लियो ना थारै तै दूर है...।
अमरसिंह बड़सी आला,
यो थारा जीत म्हं पाला।
चलां दिल्ली की ढाला हम फेरां इसे की माला।
भाई बैठी हाथी पै वा ब.स.पा. की एक सूरत है...।