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भारत की फूट को फजीतौ कहैं नाथ कवि / नाथ कवि
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भारत की फूट को फजीतौ कहैं नाथ कवि,
चाल जिन्ना की कभी कामयाबी लाये ना।
अड़ें आदि वीर त्योंही सूर सावरकर जू,
करत सुश्रूसा सपरूहू कछु पाये ना॥
एक ओर सिक्ख निज वीरता दिखावें नित्य,
दूजी ओर खाक खाकसार मन भाये ना।
झूठी तसवीरों से न बहकेंगे भारतीय,
लाख समझायें किन्तु बातें में आयें ना॥