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भारत में चारों ओर फैल रहौ हाहाकार / नाथ कवि
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भारत में चारों ओर फैल रहौ हाहाकार।
कहूँ भुखमरी कहूँ भ्रष्टाचार छायौ है॥
सन्तन पै अत्याचार छात्रन पै गोली वार।
हिन्दू धर्म पर हूँ कलंक ये लगायौ है॥
गौ वध कौं जो पै तुरन्त बन्द करौ नांहि।
खूनी क्रांति दो पग पीछे दोष छायौ है॥
शांति मार दुश्मन को सीमा कौ त्यागौ यासौं।
कांग्रेस पते वीरता में बट्टा चल आयौ है॥