भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

भारत में जैसी सुभाष की सुवास रही / नाथ कवि

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

भारत में जैसी सुभाष की सुवास रही।
तैसे जयप्रकाश का प्रकाश ही प्रचार है॥
दीनन कौ रक्षक और भक्षक अमीरन कौ।
लौह पुरुष लोहिया को ये ही विचार है॥
‘नाथ’ कवि कहें काँग्रेस पथ भ्रष्ट भई।
ब्लैक भ्रष्टाचारिन कौ बाढ्यो अनाचार है॥
प्यारे वीरो उठो यह सोने का वक्त नाहिं।
हिन्द माँहि अब तो समाजवाद सार है॥