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भारत में जैसी सुभाष की सुवास रही / नाथ कवि

भारत में जैसी सुभाष की सुवास रही।
तैसे जयप्रकाश का प्रकाश ही प्रचार है॥
दीनन कौ रक्षक और भक्षक अमीरन कौ।
लौह पुरुष लोहिया को ये ही विचार है॥
‘नाथ’ कवि कहें काँग्रेस पथ भ्रष्ट भई।
ब्लैक भ्रष्टाचारिन कौ बाढ्यो अनाचार है॥
प्यारे वीरो उठो यह सोने का वक्त नाहिं।
हिन्द माँहि अब तो समाजवाद सार है॥