भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
भारत वीर विहीन भयौ / नाथ कवि
Kavita Kosh से
भारत वीर विहीन भयौ,
न रह्यौ कोऊ धर्म बचावन हारौ।
राणा प्रताप, शिबाजी कहाँ
गुरु गोविन्द कहाँ जिन पन्थ न टारौ॥
पायकें राज्य गये गरवाय,
न धर्म अधर्म कौं सोचौ विचारौ।
कुल की कान जो है चौहान,
तौ दुश्मन मारकें वेग निकारौ॥