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भीड़ में सबसे अलग,सबसे जुदा चलता रहा / जहीर कुरैशी
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भीड़ में सबसे अलग ,सबसे जुदा चलता रहा
अंत में हर चलने वाला ‘एकला’ चलता रहा
रात भर चलते रहे सपने,यहाँ तक ठीक है
ये न पूछो—रात भर सपनों में क्या चलता रहा
रुक गए हम लोग, इस कारण ही पीछे रह गए,
हम रुके लेकिन, हमारा रास्ता चलता रहा
कौन अच्छा है, बुरा है कौन, इसमें मत उलझ
ये तो दुनिया है, यहाँ अच्छा-बुरा चलता रहा
तीन अक्षर वासना को एक कमरा चाहिए
ढाई आखर प्यार का पंछी खुला चलता रहा
जो पुराना था, उसी में करके थोड़ी काँट-छाँट
हर महीने ही कोई फ़ैशन नया चलता रहा
ज़िन्दगी में सिर्फ ऐसे लोग ही कुछ कर सके,
जिनके सँग ‘करने या मरने’ का नशा चलता रहा.